रेप मामलों पर जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन में बोलीं महामहिम
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में रविवार को कहा महाभारत में उच्चतम न्यायालय के ध्येय वाक्य, ‘यतो धर्मः ततो जयः’ का उल्लेख कई बार हुआ है, जिसका भावार्थ है कि ‘जहां धर्म है, वहां विजय है’। उन्होंने कहा कि त्वरित न्याय सुनिश्चित करना होगा, इसके लिए अदालतों में स्थगन की संस्कृति को बदलने के प्रयास किए जाने की जरूरत है। मुर्मू ने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों का होना हम सभी के लिए एक बड़ी चुनौती है। राष्ट्रपति ने कहा, ‘कोर्ट में स्थगन की संस्कृति को बदलने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि जब बलात्कार जैसे मामलों में कोर्ट का फैसला एक पीढ़ी गुजर जाने के बाद आता है, तो आम आदमी को लगता है कि न्याय की प्रक्रिया में संवेदनशीलता नहीं बची।द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि गांव के लोग तो न्यायपालिका को दैवीय मानते हैं, क्योंकि उन्हें वहीं न्याय मिलता है। एक कहावत भी है- भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं। मगर, सवाल है कि आखिर कितनी देर? हमें इस बारे में सोचना होगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा, ‘जब तक किसी पीड़ित को न्याय मिलता है, तब तक तो उसके चेहरे से मुस्कान गायब हो चुकी होती है। कई मामलों में उनकी जिंदगी तक खत्म हो जाती है। इसलिए हमें इस बारे में गहराई से विचार करने की जरूरत है।”न्याय की रक्षा करना न्यायाधीशों की जिम्मेदारी’राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि न्याय की रक्षा करना देश के सभी न्यायाधीशों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि अदालती माहौल में आम लोगों का तनाव का स्तर बढ़ जाता है। उन्होंने इस विषय पर अध्ययन का भी सुझाव दिया। उन्होंने महिला न्यायिक अधिकारियों की संख्या में वृद्धि पर भी प्रसन्नता व्यक्त की। मालूम हो कि इस कार्यक्रम में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय कानून व न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए। राष्ट्रपति मुर्मू ने भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट का ध्वज और प्रतीक चिह्न भी जारी किया।’