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Saturday, January 11, 2025
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ई-रिक्शा, सिटी बस और व्यापारियों ने बिगाड़ी राजबाड़े की ट्रैफिक

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व्यवस्था-वन-वे एंट्री प्वाइंट पर पुलिस नदारद, पार्किंग तक पहुंचना भी हो रहा मुश्किल

इंदौर। शहर का ह्द‌य स्थल राजवाड़ा ट्रैफिक जाम से परेशान है। यहां ट्रैफिक सुधार को लेकर कई प्रयास किए गए लेकिन सभी नाकाफी साबित हो रहे हैं। लगातार वाहनों के बढ़ते दबाव से अब यहां लोग जाने से घबराने लगे है। एमजी रोड को वन वे कर ट्रैफिक सुधारने की कोशिश की गई, लेकिन यह व्यवस्था भी खजुरी बाजार और राजबाड़ा के व्यापारियों ने ध्वस्त कर दी। बड़ा गणपति से शुरू हुए एमजी रोड पर राजवाड़ा तक मार्ग को वन वे घोषित किया गया है। लेकिन यहां गोराकुंड चौराहे से राजवाड़ा और राजवाड़ा से कृष्णपुरा पुल तक व्यापारियों और दुकानदारों ने ही ट्रैफिक व्यवस्था का गला घोंट रखा है। कहने को तो यहां सुभाष चौक, बजाजखाना चौक और नंदलालपुरा में पार्किंग बनाई गई है। लेकिन इन पार्किंग तक पहुंचने में ही लोगों के पसीने छूट जाते है। दूसरी ओर वन वे के एंट्री प्वाइंट पर पुलिस भी नदारत रहती है जिससे दोपहिया वाहन चालक बिना रोकटोक वन-वे में प्रवेश करते है। जिससे जाम लगान शुरू हो जाता है।

सड़क बनी पार्किंग

गोराकुंड चौराहे से राजवाड़ा के बीच खजुरी बाजार में मेन रोड पर ही दुकानों के सामने गाड़ियां खड़ी हो रही है। वहीं दुकानदार और व्यापारियों द्वारा सड़क पर ही लोडिंग रिक्शा और ठेलों को खड़ा करवा कर माल को लोड और अनलोड करवा रहे हैं जिससे जाम लगने लगता है। वहीं राजवाड़ा के पास दो पहिया वाहन खड़े कर दिए जाते है। राजवाड़ा पर तैनात गार्ड भी रोकाटोकी नहीं करते। जिससे परेशानी और बढ़ जाती है। इसे अलावा ई-रिक्शा भी बिना रोक टोक वन-वे में आते है जिस कारण छोटे वाहन चालकों और पैदल चलने वालों की मुसीबत खड़ी कर देते है।

सिटी बस भी बनी दिक्कत

राजवाड़ा से शहर के कई हिस्सों में जाने वाली सिटी बसें चलती है। या अन्य हिस्सों से आने वाली सिटी बसों का भी यहां स्टॉप है, जिस कारण वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। दूसरी ओर फुटपाथ पर छोटे दुकानदारों का कब्जा रहता है, इसे लेकर दिपावली के समय बड़े व्यापारियों द्वारा विरोध भी किया गया लेकिन कोई हल नहीं निकल सका।

रिकवरी वैन भी बनी वसूली का जरिया

राजवाड़ा पर नगर निगम की रिकवरी क्रेन चलती है। जो नो पार्किंग में खड़े वाहनों को उठाकर यातायात थाने ले जाती है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह भी वसूली का जरिया बन गई है। वाहनों को नो पार्किंग से उठाया तो जाता है लेकिन बीच में ही लेन-देन कर छोड़ दिया जाता है। जिससे नगर निगम को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है वहीं पुलिस और निगम की कार्रवाई का डर भी लोगों में कम हो रहा है।

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