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Saturday, January 11, 2025
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लालबाग पैलेस, कृष्णपुरा छत्री, गांधी हॉल सहित धरोहरें किराए पर देने की तैयारी

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उच्च स्तर पर निर्णय होते ही जल्द जारी किए जाएंगे टेंडर

इंदौर। लाखों रुपए सालाना मेंटेनेंस पर खर्च करने के बाद अब नगर निगम सहित अन्य विभाग ऐतिहासिक धरोहरों से कुछ कमाई की राह ढूंढ रहे हैं। बताया जा रहा है कि शहर के ऐतिहासिक धरोहर के रूप में प्रख्यात राजबाड़ा, गोपाल मंदिर, गांधी हाल, लालबाग पैलेस, कृष्णपुरा छत्री, बोलिया सरकार की छत्री, शहीद पार्क, राजेंद्र नगर स्थित ऑडिटोरियम के साथ-साथ कई ऐसी ऐतिहासिक धरोहर है जहां पर अब संबंधित विभाग नगर निगम से लेकर विकास प्राधिकरण किराए पर देने की तैयारी कर रहा है। बताया जा रहा है कि अभी कुछ निर्णय तो पूरी तरह से नहीं हुआ है, लेकिन इसके लिए जल्द ही टेंडर जारी होंगे, यह जरूर कहा जा रहा है।
अधिकारियों के अनुसार यह भी आशंका है कि इस तरह की ऐतिहासिक धरोहर को इवेंट मैनेजमेंट के लिए किराए पर देंगे। जहां पर आज भी इवेंट करने वाले लोग बगैर अनुमति के ही फैशन शूटिंग हो या फिर शादी ब्याह के लिए फोटो सेशन हो आदि काम हो रहा है। ऐसे में इन सबको किराए पर संबंधित विभाग देगा और एक निश्चित राशि भी किराए के रूप में ली जा सकती है। इस तरह से देखा जाए तो पहले ही इन ऐतिहासिक धरोहरों के जीर्णोद्धार और मेंटेनेंस पर नगर निगम का सालाना लाखों रुपए खर्च हो रहा है। ऐसे में यदि किराए पर वैवाहिक अन्य कार्यक्रमों में इवेंट के लिए देते हैं तो निश्चित राशि इन विभागों को मिलेगी। इसमें नगर निगम का बड़ा काम है तो दूसरी और विकास प्राधिकरण द्वारा भी शहीद पार्क और राजेंद्र नगर स्थित ऑडिटोरियम है, जिसे किराए पर दिया जा सकता है। इस तरह के ऐतिहासिक धरोहरों को किराए पर देकर नगर निगम लाखों रुपए की कमाई कर सकता है। इसको लेकर जल्द ही तैयारी चल रही है।

कई बार हुई चर्चाएं…
हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि यह सिर्फ चर्चा हो रही है। बीच में इस पर रोक लगा दी गई थी, क्योंकि गांधी हाॅल को किराए पर देने के कारण रोक लगाई है। इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि वह तो गांधी हाल कई सालों के लिए किराए पर दे रहे थे जबकि यह तो वैवाहिक व अन्य कार्यक्रमों में इवेंट मैनेजमेंट और फैशन आदि के लिए एक या दो दिन कार्यक्रमों के लिए किराए पर दिया जा सकता है। अभी जल्द ही इस पर फैसला होना शेष है और अगर इस तरह का फैसला होने के साथ ही टेंडर जारी होते हैं तो नगर निगम विकास प्राधिकरण व अन्य विभागों को सालाना लाखों रूपए राजस्व के रूप में मिल सकता है।

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