ताकतवर लोगों से आम आदमी को बचाने का जरिया है हमारा संविधान
इंदौर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा है कि ताकतवर लोगों से देश के आम नागरिक को बचाने का सबसे बड़ा जरिया हमारा संविधान है। पिछले 10 वर्ष के शासनकाल के दौरान इस बात का आभास हुआ है कि देश के नागरिकों के लिए संविधान को जानना जरूरी है । हमारे देश में लोकतंत्र की रक्षा संविधान ही करेगा ।
खेड़ा आज यहां अभ्यास मंडल के द्वारा आयोजित 63वीं वार्षिक व्याख्यान माला को संबोधित कर रहे थे । इस व्याख्यान माला में उनका विषय था संवैधानिक मूल्य एवं चुनौतियां । उन्होंने कहा कि हमारे देश के संवैधानिक मूल्य के पांच सूत्र हैं । इसमें पहले लोकतंत्र – गणतंत्र, दूसरा धर्मनिरपेक्षता, तीसरा समानता और सामाजिक न्याय, चौथा स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकार तथा पांचवा बंधुत्व एवं राष्ट्रीय एकता है ।
उन्होंने कहा कि जब हम जातिगत जनगणना की बात करते हैं तो उसके माध्यम से हम देश में समानता और सामाजिक न्याय के अधिकार को जन-जन तक पहुंचाने की बात करते हैं । देश की एकता और प्रगति को सुनिश्चित करने के लिए संवट पर जोर देना होगा । आज आवश्यकता इस बात की है कि संविधान की शिक्षा को गांव-गांव तक पहुंचाया जाए ताकि हर व्यक्ति को यह मालूम हो उसके लिए और उसके अधिकारों के लिए संविधान में क्या प्रावधान किया गया है ?
उन्होंने कहा कि जब संविधान की बात होती है तो यह कहा जाता है कि इसकी रचना 1947 से लेकर 1950 के दौर में की गई । यह सबसे गलत धारणा है । इस संविधान को बनाने का काम तो 1920 के कांग्रेस के अधिवेशन में ही शुरू हो गया था । जब महात्मा गांधी ने देश की जनता को दिए जाने वाले मौलिक बुनियादी अधिकारों पर चर्चा शुरू की थी । इसके बाद 1931 के कांग्रेस के अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी ने देश को धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में तैयार करने का खांका देश के सामने रख दिया था । उस समय से ही हमारा देश और उसका संविधान आकार लेने लगा था । हमारे देश के संविधान के निर्माता बाबा साहब आंबेडकर ने संविधान सभा की बैठक में कहा था कि यह संविधान कोई वकीलों का दस्तावेज नहीं है । यह इस देश के नागरिकों के जीवन का एक माध्यम है । यह संविधान सामूहिक आकांक्षा को दर्शाता है और कानून के शासन के लिए प्रतिबद्ध है ।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में सामूहिक आकांक्षा, सामूहिक सुख, सामूहिक दुख और सामूहिक विरासत सबसे महत्वपूर्ण है । जब किसी खेल में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए कोई व्यक्ति पदक जीत कर आता है तो हमारे देश में सामूहिक सुख परिलक्षित होता है । जब कहीं कोई आपदा आती है या दुर्घटना होती है तो सामूहिक दुख भी नजर आता है । देश की उत्तरोत्तर प्रगति हमारे देश की सामूहिक आकांक्षा है । ऐसे में आवश्यकता है कि सामूहिक विरासत को हम लोग संभालें । हमारे देश में ताकतवर लोगों के समूह से आम नागरिक को बचाने का जरिया देश का संविधान है । यह ताकतवर लोग सरकार में बैठे हुए लोग भी हो सकते हैं, पूंजीपति भी हो सकते हैं और भीड़ तंत्र भी हो सकते हैं । इन सभी से जनता की रक्षा करने वाला कांस्टेबल हमारे देश का संविधान है ।
उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में इस बात का आभास हुआ है कि देश की जनता को संविधान को पढ़ने की जरूरत है । इससे ही देश का लोकतंत्र बचेगा । स्वतंत्रता और समानता भी तभी बचेगी । हमारे देश में भाईचारा होना आवश्यक है । सामूहिक चुनाव की भावना के बिना हममें एक दूसरे के लिए सम्मान नहीं नजर आ सकेगा । संविधान में यह लिखा हुआ है कि इस्लाम से अधिक हिंदू धर्म का पक्ष नहीं लगा तो हिंदू धर्म से अधिक इस्लाम का भी पक्ष नहीं लेगा । यही मेरे देश का हिंदू मेरे देश का संविधान है और यही मेरा हिंदुस्तान है ।
*टीवी देखना बंद कर दो*
अपने उद्बोधन के दौरान खेड़ा ने बहुत से उदाहरण के साथ कहा कि देश की जनता को अब टीवी देखना बंद कर देना चाहिए । टीवी पर जो कुछ दिखाया जाता है वह देश में नहीं हो रहा होता है और जो देश में हो रहा होता है वह टीवी पर नहीं दिखाया जाता है । पिछले 10 साल में जो माहौल बना है उससे तो ऐसा लगता है जैसे देश में डर का माहौल बन गया है । पहले टीबी की बीमारी होती थी और अब टीवी की बीमारी होती है । पिछले कुछ दिनों से टीवी पर यह चल रहा है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर कांग्रेस कुछ नहीं बोल रही है ? इस बारे में हकीकत यह है कि कांग्रेस तो बार-बार बोल रही है लेकिन सवाल यह है कि सत्ता में बैठी हुई भाजपा क्या कर रही है ? सरकार को और भाजपा को इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि बांग्लादेश के हिंदुओं को बचाने के लिए उन्होंने कौन सा कदम उठाया है ? एक लंबे अरसे तक यह कहा जाता रहा है कि जब एनआरसी आ जाएगा तो बांग्लादेश सहित आसपास के देशों में मौजूद हिंदू सुरक्षित हो जाएंगे । सरकार बताएं कि क्या बांग्लादेश के हिंदुओं को भारत में लाने के लिए उन्होंने सीमा खोल दी है ।
*5 साल नहीं रहेगी सरकार*
अपने भाषण के दौरान खेड़ा ने कहा कि वर्तमान सरकार 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकेगी । इस सरकार के द्वारा जब संविधान बदलने की बात कही गई थी उसी समय पर यह स्पष्ट हो गया था कि अब यह सरकार जाएगी । यही कारण है कि पिछले चुनाव में 400 पार का नारा पूरा नहीं हो सका और 300 तक भी नहीं पहुंच सकें । देश की जनता ने एक मजबूत विपक्ष चुनकर दिया है । यह सरकार अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकेगीं । इस सरकार के कार्यकाल के दौरान संवैधानिक संस्थाएं खतरे में पड़ी है । समाजवाद को त्यागने की बात चली है । दो समुदाय के बीच में होने वाले संवाद को विवाद में बदलने की कोशिश की गई है । हमें यह ध्यान देना होगा कि हमारे देश में बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान भी संवाद के साथ होता रहा है और इस परंपरा को हमें कायम रखना होगा । इस प्रकार की परंपरा को अभ्यास मंडल जैसी संस्थाएं कायम रखने के लिए मुख्य भूमिका का निर्वहन कर सकती हैं । ऐसी संस्थाओं का न केवल इंदौर में बल्कि पूरे देश में स्वागत किया जाना चाहिए ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथि का स्वागत अरविंद पोरवाल, आदित्य प्रताप सिंह, पीसी शर्मा ने किया । कार्यक्रम में अतिथि को स्मृति चिन्ह पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल ने भेंट किया । कार्यक्रम का संचालन डॉ मनीषा गौर ने किया । कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन श्यामसुंदर यादव ने किया । इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, कृपा शंकर शुक्ला, के के मिश्रा, शोभा ओझा, अभय दुबे, डॉ निशा दुबे, डॉ शंकर लाल गर्ग, ओ पी जोशी, अशोक बडजात्या, गौतम कोठारी, दिलीप वाघेला प्रमुख रूप से उपस्थित थे ।
आज का व्याख्यान
अभ्यास मंडल की सचिव डा माला सिंह ठाकुर एवं शफी शेख ने बताया कि कल मंगलवार को हरिदास यशवंत का व्याख्यान होगा । इस व्याख्यान का विषय है भारतीय ज्ञान परंपरा का युवाओं को संदेश । यह व्याख्यान शाम 6:30 बजे जाल सभागृह में शुरू होगा ।
इंदौर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा है कि ताकतवर लोगों से देश के आम नागरिक को बचाने का सबसे बड़ा जरिया हमारा संविधान है। पिछले 10 वर्ष के शासनकाल के दौरान इस बात का आभास हुआ है कि देश के नागरिकों के लिए संविधान को जानना जरूरी है । हमारे देश में लोकतंत्र की रक्षा संविधान ही करेगा ।
खेड़ा आज यहां अभ्यास मंडल के द्वारा आयोजित 63वीं वार्षिक व्याख्यान माला को संबोधित कर रहे थे । इस व्याख्यान माला में उनका विषय था संवैधानिक मूल्य एवं चुनौतियां । उन्होंने कहा कि हमारे देश के संवैधानिक मूल्य के पांच सूत्र हैं । इसमें पहले लोकतंत्र – गणतंत्र, दूसरा धर्मनिरपेक्षता, तीसरा समानता और सामाजिक न्याय, चौथा स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकार तथा पांचवा बंधुत्व एवं राष्ट्रीय एकता है ।
उन्होंने कहा कि जब हम जातिगत जनगणना की बात करते हैं तो उसके माध्यम से हम देश में समानता और सामाजिक न्याय के अधिकार को जन-जन तक पहुंचाने की बात करते हैं । देश की एकता और प्रगति को सुनिश्चित करने के लिए संवट पर जोर देना होगा । आज आवश्यकता इस बात की है कि संविधान की शिक्षा को गांव-गांव तक पहुंचाया जाए ताकि हर व्यक्ति को यह मालूम हो उसके लिए और उसके अधिकारों के लिए संविधान में क्या प्रावधान किया गया है ?
उन्होंने कहा कि जब संविधान की बात होती है तो यह कहा जाता है कि इसकी रचना 1947 से लेकर 1950 के दौर में की गई । यह सबसे गलत धारणा है । इस संविधान को बनाने का काम तो 1920 के कांग्रेस के अधिवेशन में ही शुरू हो गया था । जब महात्मा गांधी ने देश की जनता को दिए जाने वाले मौलिक बुनियादी अधिकारों पर चर्चा शुरू की थी । इसके बाद 1931 के कांग्रेस के अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी ने देश को धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में तैयार करने का खांका देश के सामने रख दिया था । उस समय से ही हमारा देश और उसका संविधान आकार लेने लगा था । हमारे देश के संविधान के निर्माता बाबा साहब आंबेडकर ने संविधान सभा की बैठक में कहा था कि यह संविधान कोई वकीलों का दस्तावेज नहीं है । यह इस देश के नागरिकों के जीवन का एक माध्यम है । यह संविधान सामूहिक आकांक्षा को दर्शाता है और कानून के शासन के लिए प्रतिबद्ध है ।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में सामूहिक आकांक्षा, सामूहिक सुख, सामूहिक दुख और सामूहिक विरासत सबसे महत्वपूर्ण है । जब किसी खेल में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए कोई व्यक्ति पदक जीत कर आता है तो हमारे देश में सामूहिक सुख परिलक्षित होता है । जब कहीं कोई आपदा आती है या दुर्घटना होती है तो सामूहिक दुख भी नजर आता है । देश की उत्तरोत्तर प्रगति हमारे देश की सामूहिक आकांक्षा है । ऐसे में आवश्यकता है कि सामूहिक विरासत को हम लोग संभालें । हमारे देश में ताकतवर लोगों के समूह से आम नागरिक को बचाने का जरिया देश का संविधान है । यह ताकतवर लोग सरकार में बैठे हुए लोग भी हो सकते हैं, पूंजीपति भी हो सकते हैं और भीड़ तंत्र भी हो सकते हैं । इन सभी से जनता की रक्षा करने वाला कांस्टेबल हमारे देश का संविधान है ।
उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में इस बात का आभास हुआ है कि देश की जनता को संविधान को पढ़ने की जरूरत है । इससे ही देश का लोकतंत्र बचेगा । स्वतंत्रता और समानता भी तभी बचेगी । हमारे देश में भाईचारा होना आवश्यक है । सामूहिक चुनाव की भावना के बिना हममें एक दूसरे के लिए सम्मान नहीं नजर आ सकेगा । संविधान में यह लिखा हुआ है कि इस्लाम से अधिक हिंदू धर्म का पक्ष नहीं लगा तो हिंदू धर्म से अधिक इस्लाम का भी पक्ष नहीं लेगा । यही मेरे देश का हिंदू मेरे देश का संविधान है और यही मेरा हिंदुस्तान है ।
*टीवी देखना बंद कर दो*
अपने उद्बोधन के दौरान खेड़ा ने बहुत से उदाहरण के साथ कहा कि देश की जनता को अब टीवी देखना बंद कर देना चाहिए । टीवी पर जो कुछ दिखाया जाता है वह देश में नहीं हो रहा होता है और जो देश में हो रहा होता है वह टीवी पर नहीं दिखाया जाता है । पिछले 10 साल में जो माहौल बना है उससे तो ऐसा लगता है जैसे देश में डर का माहौल बन गया है । पहले टीबी की बीमारी होती थी और अब टीवी की बीमारी होती है । पिछले कुछ दिनों से टीवी पर यह चल रहा है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर कांग्रेस कुछ नहीं बोल रही है ? इस बारे में हकीकत यह है कि कांग्रेस तो बार-बार बोल रही है लेकिन सवाल यह है कि सत्ता में बैठी हुई भाजपा क्या कर रही है ? सरकार को और भाजपा को इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि बांग्लादेश के हिंदुओं को बचाने के लिए उन्होंने कौन सा कदम उठाया है ? एक लंबे अरसे तक यह कहा जाता रहा है कि जब एनआरसी आ जाएगा तो बांग्लादेश सहित आसपास के देशों में मौजूद हिंदू सुरक्षित हो जाएंगे । सरकार बताएं कि क्या बांग्लादेश के हिंदुओं को भारत में लाने के लिए उन्होंने सीमा खोल दी है ।
*5 साल नहीं रहेगी सरकार*
अपने भाषण के दौरान खेड़ा ने कहा कि वर्तमान सरकार 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकेगी । इस सरकार के द्वारा जब संविधान बदलने की बात कही गई थी उसी समय पर यह स्पष्ट हो गया था कि अब यह सरकार जाएगी । यही कारण है कि पिछले चुनाव में 400 पार का नारा पूरा नहीं हो सका और 300 तक भी नहीं पहुंच सकें । देश की जनता ने एक मजबूत विपक्ष चुनकर दिया है । यह सरकार अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकेगीं । इस सरकार के कार्यकाल के दौरान संवैधानिक संस्थाएं खतरे में पड़ी है । समाजवाद को त्यागने की बात चली है । दो समुदाय के बीच में होने वाले संवाद को विवाद में बदलने की कोशिश की गई है । हमें यह ध्यान देना होगा कि हमारे देश में बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान भी संवाद के साथ होता रहा है और इस परंपरा को हमें कायम रखना होगा । इस प्रकार की परंपरा को अभ्यास मंडल जैसी संस्थाएं कायम रखने के लिए मुख्य भूमिका का निर्वहन कर सकती हैं । ऐसी संस्थाओं का न केवल इंदौर में बल्कि पूरे देश में स्वागत किया जाना चाहिए ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथि का स्वागत अरविंद पोरवाल, आदित्य प्रताप सिंह, पीसी शर्मा ने किया । कार्यक्रम में अतिथि को स्मृति चिन्ह पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल ने भेंट किया । कार्यक्रम का संचालन डॉ मनीषा गौर ने किया । कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन श्यामसुंदर यादव ने किया । इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, कृपा शंकर शुक्ला, के के मिश्रा, शोभा ओझा, अभय दुबे, डॉ निशा दुबे, डॉ शंकर लाल गर्ग, ओ पी जोशी, अशोक बडजात्या, गौतम कोठारी, दिलीप वाघेला प्रमुख रूप से उपस्थित थे ।
आज का व्याख्यान
अभ्यास मंडल की सचिव डा माला सिंह ठाकुर एवं शफी शेख ने बताया कि कल मंगलवार को हरिदास यशवंत का व्याख्यान होगा । इस व्याख्यान का विषय है भारतीय ज्ञान परंपरा का युवाओं को संदेश । यह व्याख्यान शाम 6:30 बजे जाल सभागृह में शुरू होगा ।